Rishtey Poem Hindi mein – मासूम एक रिश्ता – प्रेरक कविता
Rishtey Poem Hindi mein

मासूम एक रिश्ता
एक ख्याल है मेरे मन में,
वो रिश्ता कैसा मासूम सा है,
कोई नाम ना है इस रिश्ते का,
पर फिर भी अटूट सा साथ, जन्मों का है।
ये किसी डोर को मोहताज नहीं,
ना ही दुलार की दरकार है,
ये रिश्ता कोख़ में नौ महीने का नहीं,
बस एक जज्बात का है।
पुचकार की दो शब्द की है,
धीरे से सहलाने की आदत की,
खाने के उसके निवाले की है,
ये तो एक विश्वास के पात्र की है।
उसका मेरे तरफ देखना ,
धीरे से मेरे करीब आना,
मुझे अच्छी लगती है उसकी सारी आदतें,
उसका पूछ हिलाना मेरी हर बात पर,
चुपके से मेरे बगल में सोना,
या मेरे साथ खेलने की ज़िद करना,
दरवाज़े पे टकटकी लगाए मेरी राह देखना,
और फिर मेरी आहट सुनते ही मेरे उपर कूदना।
एक ख्याल है मेरे मन में,
वो रिश्ता कैसा मासूम सा है,
कोई नाम ना है इस रिश्ते का,
पर फिर भी अटूट सा साथ, जन्मों का है।
