नारी शोषण पर कविता
नारी शोषण पर कविता

 नारी शोषण पर कविता – मेरी चुप्पी

अगर आना तो तुम मेरी चुप्पी लेते आना,
मेरी बर्बादी की साज लेते आना,
मुंह बंद कर रख देना किसी कोने में,
पिंजरा अगर छोटा हो तो मै दुबक जाऊंगी,
पर तेरे चंगुल से छूट कर ना जाऊंगी।

भरोसा नहीं है ये मेरा तो यकीन है,
तेरे सोहबत की ये एक तामीर है,
खेर तुम जो चाहो वो करो ,
आखिर में तो मै तेरी जागीर हूं।

अच्छा सुनो जब तुम मेरा जिस्म लूट लो,
तो कुछ मेरे तन पर छोड़ देना,
कोई बात नहीं अगर तेरा मन करे ,
तो मेरी गर्दन घोट देना।

अगर बच गई ज़िंदा में,
तो ये समाज के ठेकेदार मुझे बेच देंगे,
ज़िंदगी बत्तर तुमने बनाई ये में कहना छोड़ दूंगी,
उस सन्नाटे में मै शामिल हो जाऊंगी,
जिस गुमशुदगी में हर वो आंचल लुप्त हो जाता है।