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बेटी पर कविता
उसकी चुपी बेईमानी है,
वो जो खामोश बैठी है,
आंखों में शरारत लिए,
दबी हुई मुस्कान लिए,
थोड़ी सी चंचल है,
नादानी उसकी निराली है,
वो सरमाती गुड़िया मेरी,
अल्हड़ उसकी चाल है।
इठलाती बलखाती रहती दिन भर वो,
सुनती ना किसी की बात है,
अपनी मन की करती है,
वो छबीली मेरी दुलारी बिटिया रानी है,
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पलकों में बिछा कर रखा है उसको,
अपनी आंचल में छुपाकर रखा है उसको,
थोड़ी नखरिली थोड़ी झगड़ालू है वो,
नाजो से पली वो भोली थोड़ी मग्रूढ़ है।
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