Gam Wali Shayari – मैं खुद से खफा हूँ – गम भरी शायरी [2020]

विषय-सूची
Gum Wali Shayari
मैं खुद से खफा हूँ
या रूठा हूँ खुदा से,
ज़माना मेरा न हुआ,
या,
मैं दुश्मन हूँ जहाँ से।
Shayari gam wali
उधार दे देना,
2 पल,
तेरी ज़िंदगी का।

Gam bhari Shayari
किसी के 1 बार हा,
बोलने से खुश ना होइये,
बर्बादी का ये पहली कदम है,
ये जान लीजिये।

Gam wali Shayari photo
ना गीले है और,
ना ही शिकवा,
ना का कोई हिसाब होता है,
यहाँ कोई रूठा नहीं करता,
बस बेइज़त्तियो का बाजार होता है।

Gham ki Shayari
ज़मीन आधी रह गयी दुआए,
साथ ले गया,
वो तनहा नहीं मरा,
मेरी काएनात ले गया।
Gam bhare sher
देख ना,
मैं लाखो बार सोचती हूँ की,
अब तेरे बारे में न सोचोगी,
पर कभी इसे हकीकत में बदल नहीं,
पाती हु।

Gam bhari Picture
कई बार जवाब खुद से ही ढूंढने पड़ते हैं,
जवाब जो मिल जाए तो,
सवाल भुलने पड़ते हैं।
